भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में निर्णायक भूमिका निभाने वाले भारत छोड़ो आंदोलन की आज 76वीं वर्षगांठ है। इस आंदोलन ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाकर रख दी थी। यही वो मौका था जब अंग्रेजों को अहसास हुआ कि अब वो ज्यादा दिनों तक भारत पर अपनी हुकूमत कायम नहीं रख सकते। 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी के आह्वान पर समूचे देश में यह आंदोलन शुरू हुआ था। इस आंदोलन ने देखते ही देखते ऐसा स्वरूप हासिल कर लिया कि अंग्रेजी सत्ता के दमन के सभी उपाय नाकाफी साबित होने लगे थे।
भारत छोड़ो आंदोलन की 76वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वीडियो संदेश ट्वीट किया है। वीडियो में पीएम ने आजादी के उस संकल्प को याद किया और भारत के वैश्विक पटल पर एक पहचान बनाने वाला कहा है।
Remembering the great women and men who took part in the Quit India Movement. pic.twitter.com/S0PcuR5iLj
— Narendra Modi (@narendramodi) August 9, 2018
इस मौके पर पीएम मोदी ने भारत छोड़ो आंदोलन से जुडे कई दस्तावेजों को साझा किया है।
Mahatma Gandhi’s clarion call galvanised the nation.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 9, 2018
Here is another official report indicating the spread of the Quit India movement and the wide-scale participation. pic.twitter.com/bmUOyaHhA4
भारत छोड़ो आन्दोलन द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 9 अगस्त 1942 को आरम्भ किया गया था। यह एक आन्दोलन था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था। यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया था>
यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विश्वविख्यात काकोरी काण्ड के ठीक 17 साल बाद 9 अगस्त सन 1942 को गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ आरम्भ हुआ। यह भारत को तुरन्त आजाद करने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन था।
8 अगस्त 1942 की शाम को बम्बई में अखिल भारतीय काँगेस कमेटी के बम्बई सत्र में 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नाम दिया गया था। हालांकि गाँधी जी को फ़ौरन गिरफ़्तार कर लिया गया था लेकिन देश भर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फ़ोड़ की कार्रवाइयों के जरिए आंदोलन चलाते रहे।
जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य भूमिगत प्रतिरोधि गतिविधियों में सबसे ज्यादा सक्रिय थे। पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में स्वतंत्र सरकार, प्रतिसरकार की स्थापना कर दी गई थी। अंग्रेजों ने आंदोलन के प्रति काफ़ी सख्त रवैया अपनाया फ़िर भी इस विद्रोह को दबाने में सरकार को साल भर से ज्यादा समय लग गया।
फरवरी 23 , 2019
फरवरी 23 , 2019
फरवरी 23 , 2019
फरवरी 23 , 2019
फरवरी 23 , 2019
कमेंट करें