केंन्द्र सरकार ने कुछ दिन पहले अॉनलाइन कंटेट की निगरानी के लिए सोशल मीडिया हब बनाने का फैसला किया था। इसके खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 13 जुलाई को सवाल उठाए थे। हालांकि केन्द्र ने अब अॉनलाइन कंटेट की निगरानी के लिए सोशल मीडिया हब बनाने का फैसला वापस ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते के भीतर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से जवाब मांगा था। शुक्रवार को एडिशनल सॉलिसीटर जनरल केके वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा समेत तीन जजों की बेंच को बताया कि सरकार ने सोशल मीडिया हब बनाने के लिए जारी नोटिफिकेशन रद्द कर दिया है।
Attorney General (AG), KK Venugopal, representing the Central government, told the three-judge bench of the Supreme Court headed by Chief Justice of India Dipak Misra that no monitoring on social media will be done anywhere in the country.
— ANI (@ANI) August 3, 2018
कोर्ट ने क्या कहा था
कोर्ट ने कहा था कि सरकार वॉट्सऐप मैसेज पर नजर रखना चाहती है। आपको बता दें कि ऑनलाइन डेटा की मॉनिटरिंग के लिए सरकार ने सोशल मीडिया के साथ न्यूज साइट, डिजिटल चैनल और ब्लॉग्स के कंटेंट पर भी नजर रखने की योजना बनाई थी।
उसके बाद इसके खिलाफ तृणमूल की विधायक महुआ मोइत्रा ने याचिका दायर की। उसके बाद इस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि सरकार लोगों के वॉट्सऐप मैसेज पर नजर रखना चाहती है।
यह ऐसा देश बनाने जैसा होगा जहां हर किसी की निगरानी होती हो। उसके बाद याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि मोदी सरकार लोगों के ट्विटर, फेसबुक, वॉट्सऐप, ईमेल और अन्य अकाउंट्स पर नजर रखना चाहती है। इसके बाद ही कोर्ट ने कहा कि इससे देश सर्विलांस स्टेट बन जाएगा।
फरवरी 21 , 2019
फरवरी 21 , 2019
फरवरी 21 , 2019
फरवरी 21 , 2019
फरवरी 21 , 2019
कमेंट करें