राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का तीन दिवसीय संवाद कार्यक्रम दिल्ली के विज्ञान भवन मं होने जा रहा है। इस कार्यक्रम का केंद्र बिंदु हिंदुत्व होगा। इस कार्यक्रम की शीषर्क भविष्य का भारत है। इस कार्यक्रम की विशिष्टता तीनों दिन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न समसामयिक विषयों पर संघ का विचार प्रस्तुत किया जाना है।
— RSS (@RSSorg) September 15, 2018
इस कार्यक्रम का उद्देश्य आरएसएस के प्रति गलत धाराणाओं को तोड़ने की कोशिश होगी। संघ की स्थापना से अब तक 93 साल के इतिहास में पहली बार संघ प्रमुख मोहन भागवत ने करीब एक हजार प्रबुद्ध लोगों को संवाद करने के लिए बुलाया है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि 2019 के आम चुनाव से छह माह पहले हो रहे 72 घंटे के इस कार्यक्रम से क्या संघ के प्रति उसके विरोधियों का नजरिया कुछ बदलेगा?
लोगों को जोड़ने की होगी कोशिश
इस कार्यक्रम के जरिए संघ यह कोशिश करेगा कि ज्यादा से जयादा लोग उसकी विचारधारा से जुड़ें। खुद सरसंघचालक मोहन भागवत देश के ज्वलंत मसलों पर संघ के नजरिए से लोग रूबरू कराएंगे। इस कार्यक्रम में सभी राजनीतिक दलों को बुलाने का मतलब क्या है? क्या संघ यह दिखाने की कोशिश में है कि वो राजनीति से ऊपर है या फिर कोई और बात।
कई विधाओं को लोग लेंगे हिस्सा
इस कार्यक्रम में कई गणमान्य लोगों के भाग लिए जाने की उम्मीद है, जिनमें धार्मिक नेता, फिल्म कलाकार, खेल हस्तियां, उद्योगपति और विभिन्न देशों के राजनयिक शामिल हैं। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी व समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव इस समारोह में शामिल नहीं होंगे।
40 राजनीतिक दलों को निमंत्रण
आरएसएस ने एआईडीएमके, डीएमके, बीजेडी और टीडीपी समेत देश की 40 राजनीतिक दलों के मुखिया को निमंत्रित किया गया है। खबरें है कि इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कई मुस्लिम धर्मगुरुओं को भी निमंत्रित किया गया है। हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आमंत्रण पर कहा कि जब तक उसकी सोच में बदलाव नहीं होगा, उसके किसी कार्यक्रम में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं है।
फरवरी 21 , 2019
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