विश्वकर्मा पूजा हर साल बड़े ही हर्षोल्लास के साथ 17 सिंतबर की जाती है। इस दिन सभी निर्माण के कार्य में उपयोग होने वाले हथियारों और औजारों की पूजा की जाती है। विश्वकर्मा पूजा हर साल बंगाली महीने भद्र के आखिरी दिन पड़ता है जिसे भद्र संक्रांति या कन्या संक्रांति भी कहा जाता है। उद्योग जगत के देवता भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर उनकी विधिविधान से पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। भगवान विश्वकर्मा खुश होते हैं तो व्यवसाय में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की होती है। जानिए कौन थे विश्वकर्मा और क्यों मनाया जाता है ये त्योहार
क्यों मनाते हैं विश्वकर्मा पूजा?
विश्वकर्मा जयंती वाले दिन खास तौर पर फैक्टरी, कारखाना, कंपनी या कार्यस्थल पर विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। वेल्डर, मकैनिक, लोहे की दुकान, गाड़ियों के शोरूम और इस क्षेत्र में काम कर रहे लोग पूरे साल सुचारू कामकाज के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। इसके अलावा मशीनों, औजारों की सफाई व पूजा की जाती है। बंगाल, ओडिशा और पूर्वी भारत में खास कर इस त्योहार को 17 सितंबर को मनाया जाता है।
भगवान विश्वकर्मा का जन्म समुद्र मंथन से हुआ था
ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में सभी का निर्माण विश्वकर्मा ने ही किया था। 'स्वर्ग लोक', सोने का शहर - 'लंका' और कृष्ण की नगरी - 'द्वारका', सभी का निर्माण विश्वकर्मा के ही हाथों हुआ था। इतना ही नहीं कुछ कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा का जन्म देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन से माना जाता है।
विश्वकर्मा ने पूरे ब्रह्मांड का किया था निर्माण
हिंदू पौराणिक कथाओं की मान्यता के अनुसार विश्वकर्मा ने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया है। पौराणिक युग में इस्तेमाल किए जाने वाले सभी हथियारों को भी विश्वकर्मा ने ही बनाया था जिसमें 'वज्र' भी शामिल है, जो भगवान इंद्र का अस्त्र था।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा का मंत्र
ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयि नम:, ॐ अनन्तम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:
क्या है शुभ मुहूर्त
इस साल पंचांग के अनुसार दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक शुभ मुहूर्त है। इस दौरान आप विश्वकर्मा पूजा कर सकते हैं। भगवान विश्वकर्मा वास्तु के भी कारक देव हैं। विश्वकर्मा जयंती में भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा की जाती है।
फरवरी 21 , 2019
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